अच्छा है कि मौन हूँ मैं,
सबकी नज़र में,
गौण हूँ मैं।
जिस दिन,
बोल उठी,
ये जीभ रूपी तलवार,
तुम सब समझ ही जाओगे कि
कौन हूँ मैं
तो फिर.……
अच्छा है कि मौन हूँ मैं,
और
तुम सबकी नज़र में,
गौण हूँ मैं।
(स्वरचित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google
सबकी नज़र में,
गौण हूँ मैं।
जिस दिन,
बोल उठी,
ये जीभ रूपी तलवार,
तुम सब समझ ही जाओगे कि
कौन हूँ मैं
तो फिर.……
अच्छा है कि मौन हूँ मैं,
और
तुम सबकी नज़र में,
गौण हूँ मैं।
(स्वरचित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google
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मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से साम्य एक संयोग मात्र ही हो सकता है।
Bahot hi umda likhti ho
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